लीवर की इस समस्या को न करें नजरंदाज
सेहतराग टीम
नॉन अल्कोहलिक फैटी लीवर के बारे में हममें से अधिकांश लोगों ने कभी न कभी सुना होगा। कभी अपने डॉक्टर से या कभी किसी परिचित से। संक्षेप में इसे एनएएफएलडी के नाम से संबोधित किया जाता है। दरअसल इसका नाम आम तौर पर हर किसी को पता होने का कारण ये है कि भारत समेत पूरी दुनिया में लीवर की गंभीर बीमारी के पीछे सबसे बड़ा हाथ इसी का माना जाता है। भारत में एनएएफएलडी से प्रभावित लोगों की संख्या 9 से 32 फीसदी के बीच मानी जाती है और इसमें भी मोटे और डायबिटीज के शिकार लोगों में यह ज्यादा पाया जाता है।
क्या है एनएएफएलडी
नई दिल्ली स्थिति फोर्टिस सी डॉक अस्पताल के चेयरमैन और एम्स दिल्ली के मेडिसीन विभाग के पूर्व अध्यक्ष और देश के जाने माने डायबेटोलॉजिस्ट डॉक्टर अनूप मिश्रा सेहतराग से बातचीत में कहते हैं कि जैसा कि नाम से स्पष्ट है, लीवर की ये कंडीशन ऐसे लोगों में होती है जो अल्कोहल का बेहद कम या फिर सेवन करते ही नहीं हैं। इस कंडीशन में लीवर की कोशिकाओं में बड़ी मात्रा में चर्बी जमा हो जाती है। एक स्वस्थ लीवर में फैट की मात्रा होनी ही नहीं चाहिए या बेहद कम होनी चाहिए। एनएएफएलडी की परिणति सिरोसिस के रूप में होती है जिसे हम लीवर में लास्ट स्टेज के फाइब्रोसिस के रूप में भी जानते हैं।
रेड मीट का सेवन खतरनाक
अब एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि ज्यादा मात्रा में रेड या प्रोसेस्ड मीट खाने से हमारे शरीर में नॉन अल्कोहलिक फैटी लीवर होने का खतरा बढ़ जाता है। इस अध्ययन से यह भी सामने आया है कि ऐसे लोग जो कि अस्वास्थ्यकर तरीकों मसला तला या ग्रिल किया हुआ ऐसा मांस ज्यादा मात्रा में खाते हैं उनमें इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ सकता है।
लक्षण क्या हैं
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉक्टर के.के. अग्रवाल कहते हैं कि एनएएफएलडी के लक्षणों में पेट के दाईं ओर ऊपर की तरफ दर्द, लीवर क बढ़ा हुआ आकार, थकान आदि शामिल हैं। जब ये बीमारी सिरोसिस में तब्दील होने की दिशा में अग्रसर होती है तो जलोदर, रक्त वाहनियों और स्प्लीन यानी प्लीहा का बढ़ा आकार, हथेली का लाल होना और पीलिया जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
वजन घटाना एक उपाय है
डॉक्टर अग्रवाल कहते हैं कि ऐसे लोग जिन्हें एनएएफएलडी की समस्या है उनमें हृदय रोग होने का खतरा भी बढ़ जाता है। हालांकि अपने शरीर के वजन को 10 फीसदी तक कम करने से इस कंडीशन को टाला जा सकता है।
डॉक्टर अनूप मिश्रा कहते हैं कि उनके सेंटर ने कुछ और संस्थानों के साथ मिलकर दालचीनी से संबंधित शोध किया है जिससे ये साबित हुआ है कि दालचीनी के एंटी ऑक्सीडेंट्स लिपिड प्रोफाइल में सुधार करते हैं और एनएएफएलडी की कंडीशन में भी बेहतर रिजल्ट देते हैं।
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